Volvo EX30 इंटीरियर और टेक रिव्यू: क्या इसकी सादगी भारतीय ग्राहकों को लुभा पाएगी?

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  • Posted by: TestDriveGuru
  • November 19, 2025
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वोल्वो (Volvo) ने अपनी सबसे छोटी और सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक SUV, EX30 को जब दुनिया के सामने पेश किया, तो ऑटोमोबाइल जगत में एक नई बहस छिड़ गई। यह बहस इसके आकर्षक डिज़ाइन या दमदार परफॉरमेंस को लेकर उतनी नहीं थी, जितनी इसके इंटीरियर को लेकर थी। वोल्वो ने EX30 के केबिन में 'मिनिमलिज़्म' यानी 'अत्यंत सादगी' की फिलॉसफी को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह फ्यूचरिस्टिक और सादा इंटीरियर भारतीय खरीदारों को पसंद आएगा, जो अक्सर अपनी गाड़ियों में फीचर्स, बटन्स और एक भरे-पूरे डैशबोर्ड की उम्मीद करते हैं? आइए, EX30 के इंटीरियर की गहराइयों में उतरते हैं और इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं।

पहली नज़र: सादगी या खालीपन?

जैसे ही आप Volvo EX30 का दरवाज़ा खोलते हैं, आपको एक बेहद साफ-सुथरा और खुला-खुला सा केबिन नज़र आता है। पहली नज़र में शायद आपको लगे कि यहाँ कुछ चीज़ें गायब हैं। और आपका अंदाज़ा सही है!

  • कोई ड्राइवर डिस्प्ले नहीं: स्टीयरिंग व्हील के पीछे पारंपरिक स्पीडोमीटर या डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर नहीं है। स्पीड, बैटरी रेंज, और नेविगेशन जैसी सारी जानकारी सेंट्रल स्क्रीन पर ही दिखती है।
  • बटन्स की भारी कमी: डैशबोर्ड पर एयर-कंडीशनिंग, म्यूज़िक या अन्य फंक्शन के लिए फिजिकल बटन्स लगभग न के बराबर हैं। सब कुछ टचस्क्रीन से कंट्रोल होता है।

यह डिज़ाइन टेस्ला (Tesla) से प्रेरित लगता है, लेकिन वोल्वो ने इसे अपनी एक अलग पहचान दी है। पर क्या यह भारतीय सड़कों और ड्राइविंग आदतों के लिए प्रैक्टिकल है?

इंटीरियर का केंद्र: 12.3-इंच की सेंट्रल टचस्क्रीन

EX30 के केबिन का पूरा कंट्रोल एक ही जगह पर केंद्रित है - इसकी 12.3-इंच की पोर्ट्रेट-स्टाइल (खड़ी) सेंट्रल टचस्क्रीन। यह सिर्फ एक इंफोटेनमेंट सिस्टम नहीं है, बल्कि यही आपका स्पीडोमीटर, क्लाइमेट कंट्रोल पैनल, और कार की सेटिंग्स का कमांड सेंटर है।

क्या अच्छा है?

  • आधुनिक और साफ-सुथरा लुक: यह केबिन को एक बेहद मॉडर्न और प्रीमियम फील देता है।
  • गूगल बिल्ट-इन: यह सिस्टम गूगल के एंड्रॉयड ऑटोमोटिव ओएस पर चलता है, जिसका मतलब है कि आपको गूगल मैप्स, गूगल असिस्टेंट और प्ले स्टोर का बेहतरीन अनुभव मिलता है। "Hey Google" बोलकर आप कई फंक्शन कंट्रोल कर सकते हैं।
  • तेज़ और स्मूथ: स्क्रीन का रिस्पॉन्स काफी तेज़ है और इंटरफ़ेस समझने में आसान है।

क्या चिंता का विषय है?

  • ध्यान भटकने का खतरा: ड्राइविंग करते समय AC का तापमान या फैन की स्पीड बदलने जैसे छोटे काम के लिए भी स्क्रीन पर नज़र डालनी पड़ती है, जिससे ध्यान भटक सकता है।
  • सीखने की प्रक्रिया: जो लोग पारंपरिक कारों के आदी हैं, उन्हें इस सिस्टम को अपनाने में थोड़ा समय लग सकता है। स्पीड देखने के लिए साइड में देखने की आदत डालनी होगी।
  • एक ही स्क्रीन पर निर्भरता: अगर किसी वजह से स्क्रीन हैंग हो जाए या बंद हो जाए, तो कार के कई ज़रूरी फंक्शन को कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है।

ऑडियो का नया अंदाज़: डैशबोर्ड-वाइड साउंडबार

EX30 में एक और अनोखा फीचर है इसका साउंड सिस्टम। दरवाज़ों में अलग-अलग स्पीकर्स देने के बजाय, वोल्वो ने डैशबोर्ड पर एक फुल-विड्थ 'साउंडबार' दिया है, जिसे हार्मन कार्डन (Harman Kardon) ने तैयार किया है। इससे दरवाज़ों में स्टोरेज के लिए ज़्यादा जगह मिलती है और पूरे केबिन में एक कंसर्ट हॉल जैसा साउंड एक्सपीरियंस मिलता है। यह एक स्मार्ट और इनोवेटिव कदम है।

मटेरियल और सस्टेनेबिलिटी: भविष्य की सोच

वोल्वो ने EX30 में लग्ज़री की परिभाषा को बदला है। यहाँ आपको पारंपरिक लेदर या वुड फिनिश नहीं मिलेगी। इसके बजाय, कंपनी ने रिसाइकल्ड और रिन्यूएबल मटेरियल का इस्तेमाल किया है, जैसे:

  • रिसाइकल्ड प्लास्टिक और डेनिम फाइबर।
  • अलसी (Flax) से बने नेचुरल फाइबर।
  • ऊन का मिश्रण (Wool Blend)।

यह कदम पर्यावरण के प्रति जागरूक युवा खरीदारों को आकर्षित कर सकता है, लेकिन पारंपरिक लग्ज़री चाहने वाले ग्राहकों को शायद यह उतना पसंद न आए।

भारतीय खरीदार का दृष्टिकोण: क्या यह बहुत ज़्यादा मिनिमलिस्ट है?

यही सबसे बड़ा सवाल है। भारतीय कार बाज़ार में "वैल्यू फॉर मनी" का मतलब अक्सर "फीचर-लोडेड" होता है। हमें अपनी कार में बटन्स, क्रोम, और दिखने वाले फीचर्स पसंद हैं।

विपक्ष में तर्क:

  1. "खाली-खाली" डैशबोर्ड: बहुत से खरीदारों को यह खाली डैशबोर्ड कीमत के हिसाब से अधूरा या "कॉस्ट-कटिंग" जैसा लग सकता है।
  2. ड्राइवर डिस्प्ले की कमी: स्पीडोमीटर का सामने न होना एक बहुत बड़ा बदलाव है। कई लोगों के लिए यह एक डील-ब्रेकर हो सकता है, क्योंकि वे ड्राइविंग के दौरान सीधी नज़र में जानकारी चाहते हैं।
  3. प्रैक्टिकैलिटी: भारत की भीड़-भाड़ वाली और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर टचस्क्रीन से AC कंट्रोल करना असुविधाजनक हो सकता है।

पक्ष में तर्क:

  1. फ्यूचरिस्टिक अपील: युवा और टेक-सेवी खरीदार, जो स्मार्टफोन और गैजेट्स के आदी हैं, उन्हें यह डिज़ाइन बेहद आकर्षक और भविष्यवादी लगेगा।
  2. प्रीमियम सादगी: जो लोग स्कैंडिनेवियाई डिज़ाइन और साफ-सुथरे इंटीरियर को पसंद करते हैं, उनके लिए यह एक ताज़गी भरा अनुभव होगा।
  3. अलग दिखने की चाह: EX30 उन लोगों के लिए है जो भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं और एक पारंपरिक कार नहीं चलाना चाहते।

निष्कर्ष

Volvo EX30 का इंटीरियर एक साहसिक और प्रगतिशील कदम है। यह निश्चित रूप से हर किसी के लिए नहीं है। यह भारतीय बाज़ार में राय को विभाजित करेगा।

जो खरीदार टेक्नोलॉजी को पसंद करते हैं, एक अलग और आधुनिक अनुभव चाहते हैं, और सस्टेनेबिलिटी को महत्व देते हैं, वे EX30 के इंटीरियर के दीवाने हो जाएंगे। वहीं दूसरी ओर, जो पारंपरिक लग्ज़री, ढेर सारे फीचर्स और उपयोग में आसान फिजिकल बटन्स को प्राथमिकता देते हैं, उन्हें यह शायद "बहुत ज़्यादा सादा" लगे।

वोल्वो EX30 की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या भारतीय ग्राहक प्रीमियम होने का मतलब 'ज़्यादा फीचर्स' से बदलकर 'बेहतर अनुभव और सादगी' को मानने के लिए तैयार हैं। यह एक जुआ है, लेकिन एक ऐसा जुआ जो भारतीय ऑटोमोबाइल बाज़ार में डिज़ाइन के एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

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